हमारे बारे में

जैसा की हम सभी जानते हैं कि आदि काल से लेकर वर्तमान के बीच हर कालखंड में सामाजिक जीवन के निर्माण,उसकी स्थापना, उसका संचालन,सम्भावित विपरीत परिस्थितियों में उसके लिए निर्णायक संघर्ष एवं विजय, हमारी विशिष्टता रही है ! समाज हित, राष्ट्र गौरव, सनातन धर्म का उत्कर्ष, उसकी उपयोगिता और श्रेष्ठता का वैदिक काल से ही हमारा एक गौरवशाली अतीत रहा है .

लेकिन विगत कुछ समय पूर्व के कालखंड में हमारे समाज के नीति-निर्माता और पूर्वजों द्वारा अनेकों ऐतिहासिक प्रयास और सफलता से जहां गौरवान्वित होने का अवसर दिया वहीं उसके बाद की और हमसे पूर्व की पीढ़ियों द्वारा व्यक्ति और सुविधा केंदित सोच के प्रबल हो जाने के कारण सर्व समाज के बीच भू समाज के हर क्षेत्र मे बेहद उदासीनता आ गई । इसी बीच तेजी से बदल रही सामाजिक राजनैतिक, संवैधानिक और सांस्कृतिक परिस्थियों में जरूरी सामंजस्य और जागरूकता के अभाव के कारण वर्त्तमान का भूदेव समाज एक बड़े पराभव और पिछड़ापन का शिकार होता हुआ हुआ दिख रहा है, जिसका मुख्य कारण सक्षम लोगों द्वारा अपने समाज के उत्कर्ष के लिए किए जाने वाले प्रयास की उपेक्षा और उदासीनता है!.

दूसरा कारण अन्य समाज के लोगों की अति सक्रियता और बढ़ती चेतना भी है। लोकतंत्र के केंद्र में और वर्तमान राजनैतिक परिदृश्य में उसी व्यक्ति या समाज का महत्व है जिसके पीछे एक बड़ा जन समुदाय है या वो संगठित हैं,यदि ऐसा है तो आपकी अनैतिक बात को भी सुना जायेगा, उस पर विचार किया जाएगा और जरुरत पड़ी तो उसको लागू भी किया जायेगा लेकिन यदि ऐसा नही है तो लोकतांत्रिक मूल्यों में आपकी स्वीकार्यता शून्य के बराबर है। .

तीसरा कारण ब्रह्मर्षि समाज को आगे बढ़ाने के लिए मूलभूत संगठित फोरम का अभाव भी प्रमुख कारणों में से एक है। यही एक ऐसा समाज शायद अब बचा है जिसका न कोई सांगठनिक ढांचा है और न ही कोई संतोषजनक राजनैतिक वज़ूद..!क्योंकि जिस समाज के अंदर सामाजिक चेतना की निष्क्रियता एवं परस्पर सहयोग के आदान प्रदान का भाव काफी न्यून हो जाता है, उस समाज की स्वीकार्यता धीरे धीरे कम होने लगती है ।.

ऐसे मे वर्तमान तथा आने वाली पीढ़ियों के वो लोग जो समाज को लेकर आगे चलना तो चाहते हैं लेकिन किसी प्रारूप या विकल्प की अनुपलब्धता की वजह से अपनी सोच या उद्देश्य को लेकर आगे नही बढ़ पा रहे हैं उसको लागू नहीं कर पा रहे हैं। उनको भविष्य के लिए जिस अभाव को आज हम महसूस कर रहे हैं कम से कम उनके साथ ऐसा न हो इसके विकल्प हेतु एक छोटा सा प्रयास हम लोगों द्वारा किया जा रहा है । जबकि इसी क्रम में स्थानीय स्तर पर सामाजिक रूप से सक्रिय कुछ लोगों द्वारा सोशल मीडिया के माध्यम से,व्हाट्सएप ग्रुप या संस्था बनाकर कुछ सक्षम लोगों को जोड़कर स्वयं तथा अपने से जुड़े लोगों की मदद हेतु प्रयास हो रहा हैं या संघर्ष कर रहे हैं ।.

किंतु बेहद तेजी से बदल रही सामाजिक, राजनीतिक और संवैधानिक बदलाव की वर्तमान परिस्थितियों में यह माध्यम पर्याप्त नहीं हो पा रहे हैं! जिसका एक कारण एक दूसरे की प्राथमिकताओं, परिस्थितियों और प्रतिबद्धताओं को समझे बगैर बेवजह का किसी बात या काम की गलत प्रक्रिया में प्रयास या क्षमता से परे हटकर अपेक्षा अनावश्यक चर्चा या असफलता के बाद आलोचना करने लगना भी व्यवहारिक रूप से मुख्य कारण है। जिसकी वजह से सक्षम तबके का ऐसी किसी व्यवस्था से दूरी बनाए रखना भी है और इसी वजह से समाज कई श्रेणी और वर्गों में विभक्त होकर रह गया है और जितनी श्रेणियां में आर्थिक या आधिकारिक रूप से विभक्त है उतनी तरह की सोच से प्रभावित भी है...!.

इसलिए उपरोक्त सभी श्रेणीक्रम सामाजिक,राजनैतिक,भौतिक,आध्यात्मिक,इत्यादि समस्त परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए अनन्य लोगों से उनकी सोच, समाज के प्रति उनका दृष्टिकोण, सहयोग करने के तरीके या प्रारूप को ध्यान में रखते हुए उपरोक्त सभी समस्याओं और उसके समाधान हेतु सभी विकल्पों पर विचार किया गया है l और कुछ नए प्रारूप का निर्माण इस आशय से किया गया है कि किसी को भी किसी तरह की असुविधा भी ना हो और जरूरतमंदों तक सहयोग भी उसकी समुचित आवश्यकता और निश्चित समयावधि के बीच प्राप्त हो सके...!.

इसके लिए हम लोगों ने हर वर्ग को ध्यान में रखते हुए उनको उनके वर्ग और श्रेणी के लोगों के साथ रखने का प्रारूप तैयार किया है जिसमे प्रशासनिक क्षेत्र के लोग,न्यायिक क्षेत्र के लोग,विधिक क्षेत्र के लोग , चिकित्सा क्षेत्र के लोग राजनीतिक क्षेत्र के लोग छात्र जीवन के लोग शासन के जुड़े लोग समाज के अन्य क्षेत्रों से जुड़े लोग कृषि क्षेत्र के लोग वैवाहिक आवश्यकता के लोग रोजगार से जुड़े लोग रोजगार की आवश्यकता से जुड़े लोग औद्योगिक क्षेत्र के लोग व्यावसायिक क्षेत्र के लोगधार्मिक क्षेत्र के लोग निर्माण कार्यों से जुड़े लोग या अन्य किसी क्षेत्र से जुड़े सभी को एक साथ एक मंच प्रदान किया जा सके।.

हमारा मानना है की दुनिया का कोई भी व्यक्ति स्वयं में इतना सक्षम नहीं होता की इसके सभी तरह की आवश्यकताओं की पूर्ति उसके अपने निजी संसाधनों से पूरी हो सकती। इसीलिए हर व्यक्ति को समाज की आवश्यकता होती है। इसी मूल भावना को ध्यान में रखते हुए इस संस्था का और इस प्रारूप का निर्माण किया गया है। आप सभी लोगों से निवेदन है कि इस विचार,व्यवस्था या संस्था से जुड़कर स्वयं के साथ-साथ अन्य लोगों के सहयोग में सहभागी बने और अन्य लोगों को भी जुड़ने के लिए प्रेरित करें जिससे सहयोग के आदान प्रदान का ये माध्यम अपने मूल उद्देश्य और समाज अपने गौरवशाली अतीत को प्राप्त कर सके। क्योंकि राष्ट्र हित,सनातन धर्म,एवं भूदेव समाज के साथ साथ सर्व समाज का हित इस मंच का सर्वोपरि उदेश्य है!*

जय सनातन, जय राष्ट्रवाद, जय भूदेव समाज!.

Brahmarshi Welfare Association